जानिए कब है जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त क्या है?

जन्माष्टमी 2025 का त्योहार शनिवार, 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त रात 12:04 AM से 12:47 AM (17 अगस्त) तक रहेगा।

विशेष जानकारी:

  • अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11:49 PM से शुरू होगी।
  • रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4:38 AM से शुरू होगा। जन्माष्टमी 2025 का महत्व:
  • जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
  • यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था।

शुभ मुहूर्त:

  • निशीथ काल पूजा:
    • समय: 12:04 AM से 12:47 AM (17 अगस्त)
    • यह समय भगवान कृष्ण की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
  • अष्टमी तिथि:
    • प्रारंभ: 15 अगस्त को रात 11:49 PM
    • समाप्त: 16 अगस्त को रात 9:34 PM

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

  • रोहिणी नक्षत्र:
    • यह नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4:38 AM से शुरू होगा, जो पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
  • उपवास और पूजा विधि:
    • भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और रात 12 बजे विशेष पूजा करते हैं।
    • भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्नान कराकर उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और भोग अर्पित किया जाता है।

जन्माष्टमी का उत्सव:

  • इस दिन विभिन्न स्थानों पर भव्य समारोह आयोजित होते हैं, जिसमें भजन, कीर्तन और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
  • विशेष रूप से, मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। जन्माष्टमी का महत्व और इसकी परंपरा निम्नलिखित हैं:

जन्माष्टमी का महत्व:

  1. भगवान श्री कृष्ण का अवतार:
    जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने धरती पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए अवतार लिया था।
  2. धर्म और न्याय की स्थापना:
    भगवान कृष्ण ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जैसे कि “धर्म की रक्षा करना” और “अधर्म का नाश करना”। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
  3. भक्ति और प्रेम का प्रतीक:
    भगवान कृष्ण की लीलाएं, जैसे कि गोपियों के साथ रासलीला, माखन चोर की कहानियाँ, और उनके प्रति भक्तों का प्रेम, भक्ति और प्रेम का प्रतीक हैं।

जन्माष्टमी की परंपरा:

  1. उपवास और पूजा:
    भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं।
  2. झूला झुलाना:
    जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूले में झुलाया जाता है। यह परंपरा उनके बचपन की लीलाओं को दर्शाती है।
  3. भोग अर्पित करना:
    भक्त भगवान को माखन, मिश्री, और अन्य विशेष व्यंजन अर्पित करते हैं। यह भगवान कृष्ण के माखन चोर रूप को दर्शाता है।
  4. कीर्तन और भजन:
    इस दिन भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त भगवान कृष्ण की लीलाओं का गुणगान करते हैं।
  5. दही हांडी:
    विशेष रूप से महाराष्ट्र में, जन्माष्टमी पर “दही हांडी” का आयोजन किया जाता है, जिसमें युवा लोग एक मानव पिरामिड बनाकर हांडी में रखी दही को तोड़ते हैं। यह भगवान कृष्ण की माखन चोर की लीलाओं का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भक्ति, प्रेम, और मानवता के मूल्यों को समर्पित एक उत्सव है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में धर्म, सत्य और न्याय का पालन करना चाहिए, जैसे कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन में किया।

जन्माष्टमी 2025 में कई दुर्लभ योग और संयोग बन रहे हैं। इस दिन विशेष रूप से द्वापर युग जैसा संयोग बनने की संभावना है, जो भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह संयोग नए कार्यों की शुरुआत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। जन्माष्टमी 2025 के दुर्लभ योग

  • द्वापर युग का संयोग:
    इस बार जन्माष्टमी पर वही दुर्लभ योग बन रहा है जो द्वापर युग में बना था। यह संयोग भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
  • भाग्यशाली राशियाँ:
    इस दिन चार राशियों के लिए विशेष भाग्यशाली होने की संभावना है। ये राशियाँ इस अवसर का अधिकतम लाभ उठा सकती हैं।

धार्मिक अनुष्ठान और कार्य

  • नए कार्यों की शुरुआत:
    इस दिन नए कार्यों की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। भक्त इस अवसर का उपयोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कर सकते हैं।
  • धार्मिक अनुष्ठान:
    जन्माष्टमी पर विशेष पूजा और अनुष्ठान करने से भक्तों को आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त हो सकती है।

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