होली क्यों मनाते हैं? Why Holi is celebrated ?
इस साल, होली का त्योहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। होलिका दहन 13 मार्च को रात 10:54 बजे से मध्य रात्रि 12:45 बजे तक किया जाएगा। 14 मार्च को रंग खेलने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:11 बजे से शुरू होगा।
होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, और इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। इस दिन की तैयारी कई दिन पहले से शुरू होती है, और यह त्योहार प्रेम, भाईचारे और एकता का प्रतीक है।
होली का त्योहार प्राचीन भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा है हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की। कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोका, लेकिन प्रह्लाद ने अपने विश्वास को नहीं छोड़ा। अंततः होलिका, जो अग्नि में अजेय थी, ने प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा की और होलिका जल गई। इस घटना को याद करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है।

होली के खेल और रीति-रिवाज
होली के अवसर पर विभिन्न प्रकार के खेल और रिवाज निभाए जाते हैं। ‘लठमार होली’ जैसे अनूठे पर्व, जिसमें महिलाएँ पुरुषों पर रंग डालती हैं, और पुरुष उन्हें ‘लठ’ से बचाने की कोशिश करते हैं, यह दर्शाता है कि कैसे यह त्योहार मौज-मस्ती और खुशी का माध्यम है। इसके अलावा, ‘कुल्लू की होली’ और ‘ब्रज की होली’ जैसी स्थानीय परंपराएँ भी इस त्योहार को और खास बनाती हैं।
होली का त्योहार समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस दिन जाति, धर्म और वर्ग की दीवारें टूट जाती हैं। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं और पुराने गिले-शिकवे भुलाकर नए रिश्ते बनाते हैं।

शुभ होली!
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