गुड़ी पड़वा 2025 का त्योहार 29 मार्च को संध्या 4 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा और 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 41 मिनट से 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। गुड़ी पड़वा 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
- गुड़ी पड़वा का पर्व 30 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
- प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे से शुरू होगी।
- यह तिथि 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी।
शुभ योग
- इस वर्ष गुड़ी पड़वा पर कई शुभ योग बन रहे हैं।
- चैत्र नवरात्र की शुरुआत भी इसी दिन से होती है।
- मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का आयोजन किया जाएगा।

गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है, लेकिन इसे कर्नाटका, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी युगादि के नाम से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का महत्व
- गुड़ी पड़वा का त्योहार नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, जो जीवन में नई उमंग और उत्साह लाता है।
- इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक है।
- इस दिन घरों में गुड़ी (ध्वज) लगाई जाती है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है।
गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाने के स्थान
- महाराष्ट्र: यहाँ गुड़ी पड़वा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
- कर्नाटका: इसे युगादि के नाम से मनाते हैं, जिसमें विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: यहाँ भी इसे युगादि के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पारंपरिक नृत्य और संगीत का आयोजन होता है।
- गुजरात: यहाँ इसे नवरेह के रूप में मनाते हैं, जिसमें विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है।
- पंजाब: यहाँ इसे बैशाखी के रूप में मनाते हैं, जो फसल के मौसम का स्वागत करता है।
गुड़ी पड़वा का यह त्योहार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो एकता, समृद्धि और नए आरंभ का प्रतीक है।

गुड़ी पड़वा की पूजा कैसे की जाती है:
- गुड़ी की स्थापना:
- गुड़ी पड़वा के दिन, घर के बाहर या बालकनी में एक लंबी बांस की डंडी को स्थापित किया जाता है।
- इस डंडी के शीर्ष पर एक बर्तन (कांसे या मिट्टी का) रखा जाता है, जिसे आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है।
- गुड़ी को रंग-बिरंगे कपड़े से लपेटा जाता है और इसे एक ध्वज के रूप में स्थापित किया जाता है।
- पूजा सामग्री:
- पूजा के लिए आम के पत्ते, फूल, चावल, हल्दी, कुमकुम, और मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं।
- घर के पूजा स्थान को साफ करके वहां दीपक जलाया जाता है।
- पूजा विधि:
- सबसे पहले, गुड़ी की पूजा की जाती है। लोग गुड़ी के सामने दीपक जलाते हैं और भगवान से समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।
- फिर, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर गुड़ी के सामने खड़े होकर “गुड़ी पड़वा” का जयकारा लगाते हैं।
- इस दिन विशेष पकवान जैसे ‘पौठा’ (गुड़ी पड़वा का विशेष व्यंजन) बनाया जाता है, जिसमें कड़वा (नीम) और मीठा (गुड़) का मिश्रण होता है, जो जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक है।
मराठी लोगों के लिए गुड़ी पड़वा का खास महत्व:
- नववर्ष का स्वागत:
- गुड़ी पड़वा मराठी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन नए संकल्प लेने और नए अवसरों का स्वागत करने का समय होता है।
- संस्कृति और परंपरा:
- यह पर्व मराठी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इसे मनाने से परिवार और समाज में एकता और सामंजस्य बढ़ता है।
- भगवान राम का स्वागत:
- गुड़ी पड़वा को भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक है।
- खुशियों का पर्व:
- यह दिन खुशियों और उत्सव का प्रतीक है, जिसमें लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और मिलकर जश्न मनाते हैं।
गुड़ी पड़वा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह मराठी संस्कृति की पहचान और समृद्धि का प्रतीक भी है।
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