जानिए कब है वैसाखी 13 या 14 अप्रैल 2025?क्या है इसकी ख़ासियत?

बैसाखी, जिसे वैसाखी भी कहा जाता है, हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह पर्व सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। बैसाखी का त्योहार फसल कटाई के समय मनाया जाता है और इसे नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। बैसाखी का महत्व

  • बैसाखी वसंत फसल पर्व है, जो किसानों के लिए समृद्धि का प्रतीक है।
  • यह पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है।
  • इस दिन लोग ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और अनाज की पूजा करते हैं।

बैसाखी के आयोजन

  • बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और भजन-कीर्तन जैसे मांगलिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं और इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

अन्य विशेषताएँ

  • बिहार में इसे सतुआन कहा जाता है, जहां सत्तू खाने की परंपरा है।
  • यह पर्व सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमर दास द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।

बैसाखी का त्योहार भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है, खासकर सिख समुदाय के लिए। इसके महत्व को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:

1. फसल कटाई का पर्व:

बैसाखी मुख्य रूप से फसल कटाई के समय मनाया जाता है। यह समय किसानों के लिए खुशियों का समय होता है, जब वे अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं। इस दिन लोग अपने खेतों में काम करते हैं और फसल की कटाई के बाद ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।

2. सिख धर्म का महत्व:

बैसाखी का पर्व सिख धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1699 में इस दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह दिन सिखों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया।

3. सामाजिक एकता:

बैसाखी का पर्व लोगों को एकजुट करने का काम करता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक है।

4. संस्कृति और परंपरा:

बैसाखी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। इस दिन विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य, जैसे भांगड़ा और गिद्दा, किए जाते हैं। यह पर्व भारतीय लोक कला और संस्कृति को जीवित रखने में मदद करता है।

5. नववर्ष का स्वागत:

बैसाखी को कुछ क्षेत्रों में नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें लोग अपने पुराने अनुभवों को पीछे छोड़कर नए साल की शुरुआत करते हैं।

6. धार्मिक अनुष्ठान:

इस दिन लोग गुरुद्वारों में जाकर प्रार्थना करते हैं और लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह धार्मिक अनुष्ठान सिख धर्म के मूल सिद्धांतों को दर्शाता है, जैसे कि सेवा, समर्पण और समानता।

इन सभी कारणों से बैसाखी का त्योहार न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें एकजुटता, समर्पण और खुशियों का संदेश देता है।

बैसाखी मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।इस दिन लोगभांगड़ा और गिद्दा जैसे लोक नृत्य करते हैं, और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। इसके अलावा, सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में जाकर प्रार्थना करते हैं और लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। राज्य जहां बैसाखी मनाई जाती है:

पंजाब:

बैसाखी का सबसे बड़ा उत्सव यहीं मनाया जाता है।

लोग खेतों में फसल की कटाई करते हैं और भव्य जश्न मनाते हैं।

हरियाणा:

यहाँ भी बैसाखी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।

उत्तर प्रदेश:

विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बैसाखी का पर्व मनाया जाता है।

लोग सामूहिक भोज और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

दिल्ली:

सिख समुदाय के लोग यहाँ भी बैसाखी का पर्व मनाते हैं।

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