चैती छठ पर्व 2025 में 1 अप्रैल से शुरू होगा। इस दिन नहाय-खाय होगा, 2 अप्रैल को खरना मनाया जाएगा, और 3 अप्रैल को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। 4 अप्रैल को उगते सूर्य को जल अर्पित करने के साथ पर्व का समापन होगा। चैती छठ पर्व की तिथियाँ
- नहाय-खाय: 1 अप्रैल 2025
- खरना: 2 अप्रैल 2025
- संध्या अर्घ्य: 3 अप्रैल 2025
- सूर्य को अर्घ्य: 4 अप्रैल 2025
पर्व का महत्व
- छठ पूजा में छठ माता और भगवान सूर्य की उपासना की जाती है।
- इस पर्व को मनाने से जातक को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- सूर्यदेव की पूजा से आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान से जुड़े कष्ट दूर होते हैं।
व्रत के नियम
- नहाय-खाय से पहले स्नान और दान करना आवश्यक है।
- पूजा सामग्री को हमेशा साफ हाथों से छूना चाहिए।
- भगवान सूर्य और छठ माता का ध्यान करना अनिवार्य है।

चैती छठ पूजा एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। इस पर्व के कई लाभ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. सूर्य देव की कृपा:
- चैती छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना की जाती है, जो जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत हैं। सूर्य की पूजा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होती है।
2. संतान सुख:
- इस पर्व को संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। महिलाएं इस व्रत को संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए करती हैं।
3. आरोग्य लाभ:
- सूर्य देव की उपासना से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।
4. परिवार में सुख-शांति:
- इस पर्व के माध्यम से परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है। सभी सदस्य मिलकर पूजा करते हैं, जिससे पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं।
5. आध्यात्मिक उन्नति:
- चैती छठ पूजा के दौरान ध्यान और साधना करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह व्रत मन को शुद्ध करता है और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
6. सकारात्मक ऊर्जा:
- इस पर्व के दौरान की गई पूजा और व्रत से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है।
7. सामाजिक बंधन:
- चैती छठ पूजा के दौरान लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं और सामुदायिक एकता बढ़ती है।
8. प्रकृति के प्रति सम्मान:
- इस पर्व के माध्यम से लोग प्रकृति और उसके तत्वों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण की भावना जागृत होती है।
इन सभी लाभों के कारण चैती छठ पूजा को एक महत्वपूर्ण और शुभ पर्व माना जाता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

चैती छठ पूजा की विधि
चैती छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है। यहाँ पूजा की विधि का विवरण दिया गया है:
1. नहाय-खाय (पहला दिन):
- स्नान: इस दिन व्रती महिलाएं पवित्र जल में स्नान करती हैं।
- भोजन: व्रति केवल सात्विक भोजन करती हैं, जिसमें चावल, दाल, और सब्जियाँ शामिल होती हैं। इस दिन विशेष रूप से अरवा चावल और लौकी की सब्जी बनाई जाती है।
2. खरना (दूसरा दिन):
- उपवास: इस दिन व्रति दिनभर उपवास रखती हैं।
- पूजा: शाम को पूजा के लिए एक थाली में गुड़, चावल, और फल रखें।
- प्रसाद: पूजा के बाद गुड़ और चावल की खीर बनाकर उसका सेवन करें।
3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन):
- सूर्य देव की पूजा: संध्या समय व्रति एकत्रित होकर सूर्य देव की पूजा करती हैं।
- अर्घ्य: एक सूप में जल, फल, और मिठाई रखें और सूर्य को अर्घ्य दें।
- आरती: पूजा के अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
4. सूर्य को अर्घ्य (चौथा दिन):
- उगते सूर्य की पूजा: इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- प्रसाद: अर्घ्य देने के बाद सभी उपस्थित लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।

पूजा सामग्री
- सूप: पूजा के लिए सूप में फल, मिठाई, और अन्य प्रसाद रखें।
- गुड़ और चावल: खरना के दिन विशेष रूप से गुड़ और चावल की खीर बनानी होती है।
- फल: पूजा में विभिन्न प्रकार के फल जैसे केला, सेब, और नारियल शामिल करें।
- पत्तल और बांस की टोकरी: प्रसाद को रखने के लिए पत्तल और बांस की टोकरी का उपयोग करें।
विशेष ध्यान
- व्रति को 36 घंटे का उपवास रखना होता है, जिसमें अन्न और जल का सेवन नहीं किया जाता है।
- पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें और भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
इस प्रकार, चैती छठ पूजा को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, और इसके माध्यम से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
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