बुद्ध पूर्णिमा 2025 में 12 मई, सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है।
महत्व
- बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है।
- इस दिन विशेष पूजा, प्रार्थना और दान का महत्व है।
पूजा विधि
- श्रद्धालु बुद्ध की मूर्तियों पर फूल, फल और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं।
- सफेद कपड़े पहनकर मांसाहारी भोजन से परहेज किया जाता है।

विशेष आयोजन
- बौद्ध विहारों में सामूहिक प्रार्थनाएँ होती हैं।
- करुणा के प्रतीक के रूप में पक्षियों को मुक्त किया जाता है।
उपाय और पुण्य
- पवित्र नदियों में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है।
- सत्यनारायण की कथा सुनना भी लाभकारी है। बुद्ध पूर्णिमा 2025 में 12 मई, सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है।
महत्व
- बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है।
- इस दिन विशेष पूजा, प्रार्थना और दान का महत्व है।
पूजा विधि
- श्रद्धालु बुद्ध की मूर्तियों पर फूल, फल और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं।
- सफेद कपड़े पहनकर मांसाहारी भोजन से परहेज किया जाता है।
तिथि और समय
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 मई 2025 को रात 08:01 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 मई 2025 को रात 10:25 बजे
- बुद्ध पूर्णिमा का पर्व न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो करुणा, शांति और सत्य की ओर प्रेरित करता है।

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का स्मरण किया जाता है। इस अवसर पर कई लोग व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
- व्रत का संकल्प:
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन व्रत का संकल्प लें। मन में दृढ़ निश्चय करें कि आप इस दिन विशेष रूप से बुद्ध के उपदेशों का पालन करेंगे।
- ध्यान और साधना:
- व्रत के दौरान ध्यान और साधना करें। यह मानसिक शांति और आत्मा की शुद्धि के लिए आवश्यक है।
- सत्य और अहिंसा का पालन:
- इस दिन सत्य बोलने और अहिंसा का पालन करने का प्रयास करें। यह बुद्ध के उपदेशों का मुख्य आधार है।
- रात को उपवास का समापन:
- रात को व्रत का समापन करें। आप फल या हल्का शाकाहारी भोजन कर सकते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा पर व्रत रखना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति का भी माध्यम है। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों और साधनाओं का फल जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होता है। बुद्ध के उपदेशों का पालन करते हुए, हम अपने जीवन को और अधिक सार्थक बना सकते हैं।
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